कहते हैं बेटी माँ की परछाई होती हैं ,वो मेरी परछाई नही ,एक दैवीय ज्योति हैं,जो जीवन को प्रकाशित करती हैं मेरा ही चेहरा,मेरी शक्ति,शांति,संगती ,गीति,आरोही ....
Wednesday, August 27, 2014
Monday, June 23, 2014
पूर्णविराम । एक अधूरी पोस्ट पर .....
अधूरी इसलिए क्योकि अभी पूरी नहीं हुई पूरी होने में शायद कई पोस्ट्स लिख जाये। पर मैं लिखती रहूंगी अधूरी पोस्ट पर पूर्णविराम लगाते हुए। शायद महीनो शायद बरसो शायद कभी लेखन पूरा हो भी जाये पर ये यादे पूरी न होंगी। . सागर से मोती की तरह पुरानी किन्तु नयी निकलती ही रहेंगी।
तो पढ़िए
पूर्णविराम एक अधूरी पोस्ट पर
भाग १
ये बाबा भी न न जाने क्यों मेरे पीछे पड़े रहते हैं.. दूध पी दूध पी। . कितना गन्दा स्वाद !!! मैं भी चुप चाप पी ही लेती हूँ न जब आई बॉर्नवीटा डाल के देती हैं ,अब जब आज बॉर्नवीटा खत्म हो गया हैं तो कैसे पी सकती हूँ ? कभी कभी सोचती हूँ आज के २० साल बाद भी बाजार में बॉर्नवीटा मिलेगा न ? नहीं तो मैं दूध ही नहीं पी पाऊँगी।
अरे बाप रे आज तो गणित के टेस्ट का रिजल्ट हैं,टेस्ट कॉपी में पिछले दो बार से ५ में से २, ५ में से ३ मार्क्स ही हैं ,लास्ट टेस्ट में तो ५ में से ०० आ गए थे ,कितना कुछ नहीं कहा था शुरूकर आचार्य जी ने सारी क्लास के सामने। पता नहीं इस बार क्या होगा।
ओ-हो सात बज के ३३ मिनट !!! भागो।
आई वेणी घाल न। यार ये आई भी क्या बेसन पोइ रख देती हैं डिब्बे में ,कोई नहीं लाता ,कुछ बोलो तो कहती हैं कालवण खात जा। अरे हाँ आज प्रणिता आलू की सब्जी पूरी के साथ एक्स्ट्रा आचार लाने वाली हैं ,उसका अचार मेरे यहाँ के अचार से ज्यादा मसाले वाला रहता हैं ,मस्त।
वैसे तो अनघा ने भी कहा था अचार लाएगी ,पर वो तो सिर्फ मुझे ही देगी किसी और को नहीं। उसकी लम्बी लम्बी दो चोटियाँ। …… आते ही खड़ी हो जाती हैं टेबल के सामने और चॉक लेकर बोर्ड पर सब बात करने वालो के नाम लिखने लगती हैं ,सबको डाॅटती हैं ,बस मुझे चुप करते हुए हंस देती हैं,ही - ही करते समय उसके सामने वाले दाँत भी नाचते हैं ख़ुशी से।
पता नहीं यार स्वाति के गणित में इतने नंबर कैसे आते हैं ? जरा सी छोटी सी, सांवली सी ,पर बहुत प्यारी हैं ,बहुत मीठी सी ,कक्षा में हमेशा फर्स्ट आती हैं पर सबसे कितने अच्छे से बात करती हैं। .
यार ये स्कूल का रास्ता कितना लम्बा हैं दौड़ते दौड़ते मेरे पैर दुःख जाते हैं ,घंटी बजने से पहले नहीं पहुंची तो खड़ा कर देंगे। उस दिन खंडारकर दीदी ने कहा था की राधिका प्रार्थना तुम लोगी। कितना अच्छा लगा था। मैं सबके सामने स्टेज पर जा कर बैठी। हंस वाहिनी ज्ञान दायिनी अम्ब विमल मति दे। पूरा गीता अध्याय याद हो गया हैं मुझे ,कोई नींद में से उठकर सुनाने को कहे तो भी पन्द्रहवां अध्याय सुना दू।
उफ़ ये चना गरम करने वालो की दुकाने। सारा कीचड़ हो गया हैं बरसात में। कल रात को १ बजे तक सितार बजायी थी , नींद भी आ रही हैं।
दो दिन पहले घोषणा हुई थी। रस्सी कूद प्रतियोगिता हैं ३ तारीख को। इस बार तो मैं ही फर्स्ट आउंगी , पिछले साल स्वाति प्रथम आई थी मैं द्वितीय और विजयलक्ष्मी तृतीय। कितनी लम्बी हैं न विजयलक्ष्मी ,उसके खाने का स्वाद एकदम अलग ही रहता हैं। पढ़ने में भी बुरी तो नहीं। .
आज पांचवे कालखण्ड में राखी बनाओ स्पर्धा हैं ,आई ने सिखाई हैं राखी बनाना मुझे और इस बार में सुन्दर गुलाबी रंग का रेशम लेकर आई हूँ ,सुन्दर राखी बनाउंगी।
दो दिन बाद राखी उत्सव हैं, मैं श्रीनिवास को राखी बांधती हूँ हैं लेकिन समझ नहीं आता की सारी बहनो की एक पंक्ति बनाकर सारे भाइयों को एक पंक्ती में बिठाकर जो जिसके सामने बैठ गया उसे राखी बांध देने का क्या मतलब हैं ? नाम तक पूछो और अगले साल नया भाई ,फिर उसका नाम पूछो यह भी याद नहीं की पुराने वाले का नाम क्या था।
आज शाम को राशि का बर्थडे हैं ,उसके बाबा आई की कितनी लाड़ली हैं वह ,उस दिन कैसे रो रही थी!!! उसकी आई ने उसके लिए इतने अच्छे क्रीम बिस्किट्स लाये थे पर उसे बेकरी वाले ही खाने थे ,उसकी आई ने एक बार भी नहीं डाटा ,कितने प्यार से समझाती रही फिर पूछने लगी शोना मैगी करूँन देऊ का ? शिरा खाशील का ? बाबा संध्याकाळी दूसरे बिस्किट्स घेऊन येतील। ऋषि दादा कैसे चिड़ा था ,हो आई , तू बस तिझेस लाड़ कर आम्हाला वीचारु नको। कितनी लकी हैं न दो भाइयों में एक बहन , बाबा उसे गाना गाके उठाते हैं। … मेरे बाबा मुझे उठते ही गाना गाने को बिठाते है ,आई ही कुछ खाने को लाके देती हैं। नहीं तो भूखे पेट गाना पड़े।
अरे वाह मैं पहुँच गयी स्कूल ,अभी तक तो कोई आया भी नहीं हैं ,मेरी घडी पुरे २० मिनट आगे थी ,बाबा भी न ! अरे ये लो मेघा आ गयी पीछे पीछे स्वाति भी।
रूपाली तू आ गयी ? कैसी हैं। ये रूपाली कितनी अलग हैं हम सबसे ,सुन्दर हैं ,इंग्लिश कितनी अच्छी पढ़ती हैं यह। लो ये चश्मा लगा कर प्रतीक भी आ गया। आज इससे भूगोल की कॉपी मांग लुंगी , चार दिन पहले का काम बाकि हैं। ये मुझे कभी मना नहीं करता ,कितना अच्छा हैं। इसके पास हर साल नया कम्पोसबॉक्स रहता हैं ,सारी चीज़े नयी। बाबा बता रहे थे इसके बाबा पार्क में आते हैं वो संघ में हैं ,उस दिन शाम को छत पर खड़ी थी सामने पार्क में देखा तो यह भी खाकी कपडे पहन कर व्यायाम कर रहा था ,वैसे भी पीछे मुङो तो इसके घर की छत दिखाई देती हैं ,ठंड के दिनों में इसकी आई और पूरा परिवार छत पर आता हैं अभी अभी छत भी ठीक करायी हैं इन लोगो ने। प्रशांत के साथ ये छत पर आता हैं ,उस दिन मुंडेर को टेबल बना उसपे कॉपी रख कर लिख रहा था ये ,मुझे इतनी हंसी आई।
लो ये आ गयी रश्मि ,हंसती खेलती रहती हैं यह। सुनैना से इसकी भी ज्यादा दोस्ती नहीं ,सुनैना से पता नहीं किसीकी मेरे इतनी दोस्ती ही नहीं!!!
हुह मुझे आशुतोष से कोई बात नहीं करनी कल मेरी ही कॉपी दे नहीं रहा था ,नीता दीदी ने आकर बीच बचाव नहीं किया होता तो बहुत ही झगड़ा हुआ होता हमारा। आशुतोष उपाध्याय से कभी झगड़ा नहीं हुआ मेरा।
शैलेन्द्र और विशाल की जोड़ी हैं ,दोनों साथ में रहते हैं हमेशा ,मेरा बहुत मजाक बनाते हैं पर जब मैं रोने को होती हूँ मुझे मना भी लेते हैं ,ज्यादा करके शैलेन्द्र चिढ़ाता भी हैं मनाता भी हैं ,विशाल तो हँसता ही जाता हैं मुझे पर।
कविता तू आगयी ,आज अभी तक प्रार्थना के लिए घंटी क्यों नहीं बजी ,तेरे यहाँ बहुत मज़ा आया हमें ,मेघा भी कह रही थी तेरा घर बहुत बड़ा है ,नया घर बनाया हैं न इसलिए बहुत अच्छा भी लग रहा हैं ,तुझे कितना मज़ा आता होगा न। क्या कहा ? कल मुझे फ़ोन करना चाहती थी। तो किया क्यों नहीं ? उस दिन नंबर तो लिखकर दिया था न।
ये देखो आ गये रोहित जी अपना भारी बस्ता लेकर ,उस दिन कैसे महेंद्र और रोहित को पटवर्धन दीदी ने डाटा था ,महेंद्र बिचारा बहुत सीधा लड़का हैं ,रोहित नहीं बोलता तो उस दिन बात शायद बड़े आचार्य जी तक पहुँच जाती।
आज पहला कालखण्ड संस्कृत का हैं ,अनघा किती मजेदार नक़ल उतारती हैं गुर्जर आचार्य जी की। पुस्तकस्था विद्या। रिसेस होने में अभी २ कालखंडों का अवकाश हैं ,कितनी भूक लग रही हैं ,छतरी के मंदिर में आज बहुत लोग दर्शनों के लिए आये हैं ,कल भोग था यहाँ ,खाने की खुशबु अभी तक महक रही हैं। मेरा मन बिलकुल नहीं लग रहा ,वैसे भी आज छटे कालखण्ड में शोले दीदी खो-खो खिलवाने वाली हैं वो कहती हैं मैं भागने में बहुत तेज़ हूँ। दीपा आठले गाना बहुत अच्छा गाती हैं ,पिछले बरस दीपा लघाटे ने छतरी मैदान में अज्ञान के अंधेरो से कितना सुन्दर गाया था।
मैं तो गाना ही छोड़ दूंगी वैसे भी जब मैं गाती हूँ सब चिड़ाते हैं तू गाती हैं या रोती हैं ? बाबा ही राघवत होते। मैंने कितने मन से गाया था यही गाना। पर बाबा बोले दीपा ने ही अच्छा गाया।
मेरा ध्यान किधर हैं। क्या क्या सोच रही हूँ मैं ,चौथा कालखण्ड शुरू हो गया ,अरे आज जटार दीदी आई हैं कक्षा में।
बहुत हो गया बस ध्यान देना चाहिए। शायद कोई उद्गोषणा होने वाली हैं।
विचार बंद। अभ्यास शुरू।
Saturday, February 22, 2014
I don't know Whether she understand the meaning of the words ?she writes in her poetry or not???Yes today it is confirmed that she is not writing these
poetries this comes from heaven in her mind,May be the god is directly pouring in her mind ..Some people are doubting Are these really her poetries ? I can only say YES THESE ARE HER POETRIES ONLY..
Aarohi's Mother
ये पानी हैं बारिश का
ये आसूं हैं सावन का
मेरी अधूरी सी बात हैं इसमें कहीं
फूलो से बंधी हुई
एक अधूरी याद हैं बसी
बांसुरी सी सजी हुई
ये पानी हैं बारिश का
............................
एक शून्य हैं चलता हुआ
एक बादल काला बहता हुआ
बनी उमर एक छाया- छाया
यारा हैं ये किसका साया
ये पानी हैं बारिश का।
poetries this comes from heaven in her mind,May be the god is directly pouring in her mind ..Some people are doubting Are these really her poetries ? I can only say YES THESE ARE HER POETRIES ONLY..
Aarohi's Mother
ये पानी हैं बारिश का
ये आसूं हैं सावन का
मेरी अधूरी सी बात हैं इसमें कहीं
फूलो से बंधी हुई
एक अधूरी याद हैं बसी
बांसुरी सी सजी हुई
ये पानी हैं बारिश का
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एक शून्य हैं चलता हुआ
एक बादल काला बहता हुआ
बनी उमर एक छाया- छाया
यारा हैं ये किसका साया
ये पानी हैं बारिश का।
Written by ....Aarohi Budhkar
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