कभी कभी अचानक कुछ अनुभूत होता हैं ,कहीं से कुछ आवाज आती हैं और आपका दिल कह उठता हैं बस यही तो हम चाहते हैं.
किसी को समझना जितना आसान हैं उतना ही कठिन होता हैं अपने आप को समझना अपनी खोज करना ,और कभी कभी अचानक आपको पता चलता हैं की आप यही हैं तो मन ख़ुशी से झूम उठता हैं .कुछ दिन पहले की बात मेरी एक सहेली (जिसे मैं अपनी सहेली मानती हूँ )मुझे मिली ,कुछ देर बाद वह तो चली गयी, लेकिन मेरे मन ने कहा "उसकी बातों का बुरा नही लगा "शायद यही प्यार हैं .प्यार .......!!!!.
बहुत बहुत घटनाओ के बाद सिर्फ एक बाद समझ में आती हैं वह हैं " प्यार" ...........प्यार उनसे जो हमसे प्यार करते हैं ,"प्यार" उनसे जो हमसे नफरत करते हैं ,"प्यार" उनसे जो हमारे मित्र हैं ,"प्यार" उनसे जो हमें शत्रु मानते हैं और शायद यही प्यार हैं जिसे मैं जानती हूँ ,मैं नही जानती की "वसुधैव कुटुम्बकम "क्या होता हैं ?बड़ी बड़ी दार्शनिक किताबे मेरे दिमाग के उपर से निकल जाती हैं?उन पोथी पत्रों को समझने की अपने जीवन में उतारने की भारी भरकम कोशिशे करके थक चुकीं हूँ,संत महात्माओ के वाक्यों को लिख लिख कर उन्हें याद करकर कर हार गयी .पर एकदिन अचानक एक बात समझ आई .वह थी "प्यार "और लगा अगर आप सिर्फ प्यार करते हैं ,तो आप दुनिया के सबसे खुशनसीब इंसान हैं.क्योकि सारी दुनिया को प्यार की जरुरत हैं और हमारी जरुरत हैं सबको प्यार देना. "प्यार" ख़ुशी देता हैं ,शांति देता हैं ,आत्मिक संतोष देता हैं और हो सका तो प्यार भी देता हैं .जबसे मुझे प्यार यह शब्द समझ में आया हैं तबसे कुछ और समझने की जानने की इच्छा नही रही .क्योकि बड़े बड़े भारी ग्रंथो का अध्ययन कर मैं औरो को तो पढ़ा सकती हूँ पर खुदको पढ़ाना नामुमकिन हैं . प्यार स्वार्थ से परे होता हैं ,इच्छाओं अभिलाषाओ से उपर ...हर इंसान से चाहे वह छोटा हो बड़ा हो इंसान होने के नाते प्रेम करना जीवन को सही अर्थ और दिशा देता हैं और ढेर सारी, सच में ढेर सारी आत्मिक शांति .......
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मैंने सोच लिया मुझे कुछ नही करना हैं इस आने वाले नए साल में ,करना हैं तो सिर्फ प्यार ,दोस्तों से ,दुश्मनों से ,साथियों से,साथ छोड़ कर जाने वालो से ,संगीत से ,ईश्वर से ,मनुष्य से ,मनुष्यता से और स्वयं से .............
आपने क्या सोचा हैं ?