www.blogvarta.com

Thursday, July 30, 2009

क्या संसार में कुछ अच्छा नही हो रहा ?

एक समय था जब रात के ९ बजे सारे काम धाम छोड़ कर हम टीवी के सामने बैठ जाया करते थे।अगर उस समय कोई दूसरा काम किया तो पिताजी कान पकड़ कर हमें टीवी देखने बिठाया करते थे। नही नही ....कोई धारावाहिक देखने नही ,समाचार देखने। अगर पापा को पता चला की आज हमने समाचार नही देखे ,तो बाबा रे वह डांट खाना पड़ती थी की पूछिये ही नही । तब समाचार देखते ,दुनिया भर की खबरे सुनते ,विश्व में यहाँ आज यह हुआ वहा वो हुआ,काफी सारा सामान्य ज्ञान बढ़ता हमारा । आज इस शहर में यह सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ,उस शहर में वैज्ञानिको ने वह उपलब्धि हासिल की ,कुछ राजनीती ,संस्कृति ,विज्ञान ,इतिहास से जुड़ी खबरे ।

इन कुछ सालो में बहुत कुछ बदला हैं ।अब पतिदेव की आदत हैं खाना खाते समय समाचार देखना। कुछ सालो पहले मेरी भी हुआ करती थी . कहते हैं अन्न परब्रह्म हैं,उसे बडे शांत वातावरण में प्रेम से ,आदर से ग्रहण करना चाहिए । जैसे ही खाने की थाली परोसी ,की टीवी पर न्यूज़ शुरू । ओहो और समाचार क्या ? वहीं इसकी हत्या हुई ,उसका खून हुआ। पुलिस वालो ने ऐसा किया । महिला के साथ ऐसा हुआ । आतंकवादियों ने यहाँ विस्फोट किया ,वहा से विस्फोट सामग्री बरामद हुई.इसका एनकाउन्टर किया गया .... रोज़ पतिदेव न्यूज़ लगाते हैं और रोज़ हमारे मन घृणा से भर जाते हैं की यह क्या समाचार हैं । अब तो हम दोनों को हँसी आती हैं जब रोज़ न्यूज़ शुरू करते ही १ मिनिट बाद ही वे समाचार बदल कर कोई सिनेमा या धारावाहिक लगा लेते हैं ।

कल मैं रसोई में काम कर रही थी गलती से टीवी पर न्यूज़ चेनल लगा रह गया ,पॉँच मिनिट बाद मुझे इतना गुस्सा आया की क्या कहूँ ,वहीं सब.....इतनी अश्र्वणीय खबरे । ब्रेकिंग न्यूज़ देखने से दिल और दिमाग को इतना धक्का लगता हैं न . ओफ्फ्फ ।

समझ नही आता क्या दुनिया इतनी बुरी हो गई हैं ?क्या संसार में कहीं कुछ अच्छा नही हो रहा ?क्या सब जगह सिर्फ़ खून ,हत्या ,अत्याचार यही सब हो रहा हैं ।इन खबरों से तो एक प्रकार की नकारात्मकता (नकारात्मक विचारधारा )फ़ैल रही हैंइन खबरों को देखने से भय ,ग्लानी ,दुःख ,और ग़लत संस्कार लोगो तक पहुँच रहे हैं । कला संस्कृति ,ज्ञान विज्ञानं सम्बंधित और सकारातमक घटित नही हो रहा क्या ?अगर हाँ तो क्यो नही वो दिखाया जा रहा ? टीआरपी बढ़ने की बात कहें तो मुझे नही लगता किसी को भी ये खबरे देखकर आनंद आता होगा । या इन्हे बार बार देखने के मन करता होगा ।

क्या कोई प्रबुद्ध नागरिक ज्ञान ,विज्ञानं, कला, संस्कृति से संबंधित खबरों को देने वाला न्यूज़ चेनल नही बना सकता .क्या कुछ सकारात्मक खबरे देखने सुनने अब नही मिल सकती .जिससे हमारा मस्तिष्क शांत हो । हमें नविन प्रेरणा मिले । कुछ सकारात्मक विचार करने का मन हो ।

मुझे सच मैं आज के १२ -१५ साल पहले के दूरदर्शन की खबरे सुनने का मन कर रहा हैं । क्या वह युग फ़िर कभी आएगा ,जब न्यूज़ देखने पर कुछ उपलब्धि हुई ऐसा लगेगा ?
"आरोही" की नयी पोस्ट पाए अपने ईमेल पर please Enter your email address

Delivered by FeedBurner