सिर्फ़ दो दिन पहले हमारे घर एक महिला आई ,हमें कल शाम के भोजन का आमंत्रण देने ,कल शाम पता चला वो नही रही .......
कितना छोटा अंतर हैं "वो नही हैं और नही रही "में । लेकिन यही अंतर संपूर्ण जीवन का परिदृश्य बदल देता हैं और शायद यही अंतर हमें जीना सिखाता हैं ।
जब मैं सोचती हूँ की आज मैं अपने जीवन में सबसे ज्यादा परेशान हूँ ,तभी.... बिल्कुल उसी समय मुझे अपने से कई ज्यादा परेशान लोग नज़र आते हैं ,उनकी परेशानियों के सामने मुझे अपनी परेशानी एकदम छोटी और नन्ही नज़र आने लगती हैं ।कुछ समय बाद उस परेशानी का कहीं नामो निशान नज़र नही आता । जिंदगी फ़िर उतनी ही खुशनुमा हो जाती हैं जितनी पहले थी ।
अक्सर जब हम पर कोई मुसीबत ,आती हैं ,हम परेशान हो जाते हैं ,निराश हो जाते हैं । हम दुखी हो जाते हैं की इतनी छोटी सी जिंदगी में अब तक हम पर न जाने कितनी मुसीबते आ पड़ी हैं । लेकिन जब हम स्वयं को उस परेशानी ,उस मुश्किल के सामने डट कर खडे रहना सिखाते हैं ,उस मुश्किल को चिढा कर उस पर हँसना सिखाते हैं । हर दुःख, हर परेशानी में भी जिंदगी का हर पल जीना सीखते हैं तब लगता हैं नही जिंदगी इतनी छोटी भी नही जितना हम उसे बना देते हैं ।
जिंदगी ,जिंदगी तब नही कहलाती जब वो सौ बरस पुरे कर ले ,जिंदगी, जिंदगी तब कहलाती हैं जब वह हर पल ,हर क्षण हँसना,गाना ,गुनगुनाना सीख ले । सारी मुश्किलों के बावजूद अपने सपनो को पुरा करने का वादा ख़ुद से कर ले ।
कुछ लोग बहुत छोटी उम्र में जिंदगी से विदा ले लेते हैं ,लेकिन हमारी सारी उम्र हमें उनकी सच्ची मुस्कान से जीने के प्रेरणा देते हैं । यही तो हैं न सच्ची जिंदगी ।
मुश्किलें हमें डरा नहीं सकती और मौत हमें नहीं मार सकती .
क्योकि............हम जानते हैं की हमारी जिंदगी इतनी भीछोटी नहीं .
पिछली कुछ पोस्ट्स पर रचना जी ,अंशुमाली जी,अर्थ जी ,लावण्या जी,रचना गौड़ जी ,श्याम कोरी जी,बृजमोहन श्रीवास्तव जी ,अक्षत जी ,आशीष खंडेलवाल जी ,संगीता पुरी जी,रचना सिंह जी,डॉ.अनुराग जी ,अनिलकान्त जी,परमजीत बाली जी ,महक जी ,अशोक प्रियरंजन जी ,अमित जी ,समीरलाल जी ,अजित वडनेरकर जी ,परावाणी जी ,निर्मला जी ,रविंद्र प्रभात जी आदि की टिप्पणिया प्राप्त हुई .आप सभी की आभारी हूँ की आपने मेरी पोस्ट पढ़कर उस पर अपनी प्रेरनादायी टिप्पणिया दी ।